राजस्थान के प्राचीन मंदिरों में चमत्कारी है जगत का अम्बिका माता मंदिर : Ambika Mata temple of Jagat is miraculous in ancient temples of Rajasthan

By | June 12, 2021

Hindi Me Help Pao :: Ambika Mata Mandir

राजस्थान के प्राचीन मंदिरों में चमत्कारी है जगत का अम्बिका माता मंदिर

    राजस्थान के प्राचीन मंदिरों में जगत का अम्बिका माता मंदिर विशिष्ठ स्थान रखता है| जगत में कुछ प्राचीन गुप्तकालीन मंदिर थे जो शैव और शाक्त सम्प्रदाय से सम्बंधित थे तथा पांचवी शताब्दी से दसवी शताब्दी के मध्य निर्मित हुवे थे| संभवत गुप्तकालीन मंदिरों को हूणों के आगमन के बाद हूणों द्वारा नष्ट कर दिया गया था|
    जगत में मुख्यतयः दो मंदिरो का उल्लेख होता है जिसमे से एक पाचवी शताब्दी में बने गुप्तकालीन मंदिर पूरी तरह से नष्ट हो चुका है और केवल उसकी वेदी के अवशेष मात्र बचे है| कहते है की वो मंदिर इटों  से निर्मित था जिसमे से प्राप्त हुई शिशु क्रीडा की मूर्ति वर्तमान में उदयपुर के संग्रहालय में सुरक्षित है| दूसरा मंदिर जगत का सबसे प्रसिद्द अम्बिका माता का मंदिर है जिसका निर्माण दसवी शताब्दी में हुवा था| मंदिर के इतिहास को समझने में मंदिर के सभा मंडप के अष्ठ कोणीय स्तंभों पे उत्कीर्ण तीन शिलालेखो से बड़ी सहायता मिलती है|
       मंदिर के एक स्तम्भ पर विक्रम संवत 1017 वैशाख शुक्ल 1 का लघु लेख है जिससे स्पष्ट होता है की ये मंदिर 10 वि शताब्दी के उतरार्ध में विधमान था| दुसरे स्तम्भ में 1228 फाल्गुन शुक्ल 7 तदनुसार 3 फरवरी 1172 का है जिसके अनुसार 1172 में छप्पन का क्षेत्र सामंत सिंह के अधीन था जिसने देवी के मंदिर के लिए स्वर्ण कलश दान दिया था|तीसरा लेख सामंत सिंह के वंशधर सिहड़देव का विक्रम संवत 1277 का हैजिससे प्रमाणित होता है| की तेरहवी शताब्दी में जगत वागड़ राज्य के अंतर्गत था|
    शिलालेख के अनुसार सिहड़देव के संधिविग्राहक वेल्हण ने इस मंदिर को रजणीजा गाँव समर्पित किया था | मेवाड़ के शासक अल्लट ने इस मंदिर का जिर्णोधार करवाया था इस आशय का शिलालेख प्राप्त हुवा है|
     जगत उदयपुर से लभग 50 कलोमीटर दूर पर स्थित है| उदयपुर से कल्लडवास,उमरडा,झामरकोटडा होते हुवे जगत जाने का रास्ता है|जगत का मुख्य अम्बिका माता का मंदिर भूमितल से नीचे धसा हुवा है| मंदिर में जाने के लिए मुख्य सड़क से मंदिर की चारदीवारी में सीढयो से नीचे उतर कर मंदिर का प्रवेश द्वार बना हुवा है जिस पर बड़ी सुन्दर मुर्तिया उकेरी हुई है| ये मंदिर नागर शैली में निर्मित है| प्रवेश मंडप कलात्मक स्तंभों पर टिका हुवा है जिस पर कीर्तिमुख बने हुए है|मंदिर के गर्भ गृह में बनी पीठिका पर अम्बिका माता की मूर्ति विराजित है|गर्भ की विग्रह पट्टिका पर विभीन्न मुर्तिया उकेर गई है जिनकी सुन्दरता देखने लायक है| सभा मंडप के दायी और विशालकाय गणेश जी विराजित है किन्तु सुरक्षा की दृष्टी से उन्हें लोहे की की जाली के भीतर रखा गया है गणेश जी के सम्मुख देवी माता की मूर्ति है| सभा मंडप में गर्भ गृह के दोनों तरफ हवा और रौशनी के लिए दो दरवाजे रखे गए है जो इस मंदिर को अन्य मंदिरों से स्थापत्य की दृष्टि से भिन्न करते है|गर्भ गृह के बाहर दोनों तरफ बनी ताको में भी देवी की मुर्तिया विराजित है|सभामंड़प में छत में उत्कीर्ण कमल देखने लायक है|

     मंदिर के बाहर पार्श्व में तथा पीछे की तरफ उकेरी गई नायिकाओं की विभिन्न मुर्तिया तथा उनके भाव अद्भुत है नायिकाओं के चेहरे के भाव और शरीर की भाव भंगिमाए इतनी खूबसूरती से उकेरी गई है मानो अभी जीवित हो उठेगी| नायिकाओं के अंग सौष्ठव को इतने उपयुक्त परिमाण से उकेरा गया है की प्रस्तर की मूर्ति भी मांसल मादक देहयुक्त नायिका लगती है| नायीकाओ की मूर्तियों में एक नायिका जो पीठ के बल खड़ी है और पीछे मुड कर एक पाँव को ऊपर मोड़ कर अपने पाँव में से शायद काँटा निकाल रही है अत्यंत कमनीय मुद्रा है एक नायिका जो अपने गीले केश को सुखा रही है के केश से टपकती जल की बूंदों का पान एक हंस कर रहा है भी अद्भुत है | मंदिर के गर्भ गृह के बाहर की दोनों तरफ पार्श्व में और पीछे की तरफ भूमितल से जुडी तीन ताके बनी हुई है जिसमे देवी माँ की मूर्ति विराजित है तथा तीनो तरफ मध्य में महिषासुरमर्दिनी की रौद्ररूपी मुर्तिया लगी हुई है जिसकी भंगिमा आपको नतमस्तक होने के लिए मजबूर कर देती है|मंदिर का सबसे खुबसूरत भाग मंदिर का शीर्ष भाग है सभा मंडप और गर्भ गृह के ऊपर बने शीर्ष का विन्यास अपने आप में अद्भुत है जो इसे दुसरे मंदिरों से प्रथक करता है| 
      इस मंदिर की एक अन्य विशेष बात ये है की अन्य मंदिरों में गर्भ गृह से जल निकासी वाली नाली का मुख गाय अथवा यूनानी प्रभाव वाले मंदिरों में ड्रेगन के मुख की तरह होता है किन्तु इस मंदिर में एक नारी जिसके हाथ में एक मटका है और मटके का मुख ही जल निकासी मुख है |मुख्य मंदिर के दायी और छोटे छोटे चार मंदिर बने हुवे है जो सभी देवी माताओं को समर्पित है| सम्पूर्ण मंदिर शक्ति को समर्पित है|वर्तमान में मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है जिसमे पर्यटन विभाग के सहयोग से जिर्णोधार कार्य किया गया है।
तो मित्रों ये थी अम्बिका माता मंदिर से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी, जिसे मैंने आपसे साझा की। ऐसे ही रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर निरंतर आते रहे और अपने दोस्तों ,परिवार वालों और सभी प्रियजनों तक भी ये महत्वपूर्ण जानकारी पहुचायें। धन्यवाद।

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