दान देने का महत्व और मंदिरों का ख़जाना कोई खैरात नहीं :: Donation, Treasury of temples is not a bailout

By | June 12, 2021
Hindi Me Help Pao

दान देने का महत्व और मंदिरों का ख़जाना कोई खैरात नहीं 

दोस्तों आखिरी तक पूरा लेख पढ़ना खुद ही समझ जाओगे 
दानशील मनुष्य वही होता है जो करुणावान हो, त्यागी हो और सत्कर्मी हो। एक अच्छे मानव में ही दानशीलता का गुण होता है। जिसके हृदय में दया नहीं वह दानी या कह लो इंशान कभी नहीं हो सकता और वह दान ऐसा हो जिसमें बदले में उपकार पाने की कोई भावना न हो जैसे दाधीचि का दान, कर्ण का दान और राजा हरिश्चंद्र के दान ऐसे ही दान की श्रेणी में आते हैं। अथर्ववेद के एक श्लोक में लिखा है कि सैकड़ों हाथों से कमाना चाहिए और हजार हाथों वाला होकर समदृष्टि से दान देना चाहिए। किए हुए कर्म का और आगे किए जाने वाले कर्म का विस्तार इसी संसार में और इसी जन्म में करना चाहिए। हमें इसी संसार में और इसी जन्म में जितना संभव हो सके, दान करना चाहिए। यदि हम ईश्वर की अनुभूति के अभिलाषी हैं तो हमें उसकी संतान की सहायता हरसंभव करनी चाहिए।
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार दान (Donation) करना सबसे बढ़ा पुण्य है | किसी भी व्यक्ति की कुंडली में जब कोई ग्रह का दोष निकलता है तब उस व्यक्ति को किसी ना किसी खास वस्तु का दान करने की सलाह दी जाती है | हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक हर व्यक्ति को अपनी सामर्थ अनुसार दान (Donation) करते रहना चाहिए |
आज हम ऐसे ही दान (Donation) के कुछ प्रकार के बारे में बतायेंगे | सबसे पहले बात करते हैं गौ दान की। गौ दान – सभी तरह के दानों में गौ दान (Gau Daan) का काफी महत्व है | सही तरीके से किया गया गौ दान मरने के बाद आत्मा की शांति, आर्थिक मानसिक शारीरिक समस्याओं को नष्ट करता है |
कन्यादान – कन्यादान (Kanyadaan) सभी तरह के दानों में सबसे ज़्यादा महत्व रखने वाला दान है | जिन माता पिता को अपनी पुत्री का कन्यादान करने का सौभग्य प्राप्त होता है उनके लिए इससे बड़ा पुण्य कोई नही है | कन्यादान करने के बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और स्वर्ग का द्वार भी उनके लिए खुल जाता है |
अन्नदान – किसी भी ज़रुरतमंद को अन्नदान (Anndaan) करने से माना जाता है की आपके जीवन में कभी भी अन्न की कमी नहीं होगी | बिना पके अन्न का दान करें तो उससे ज्यादा पुण्य मिलता है |
वस्त्र दान – जो व्यक्ति वस्त्रों का दान (Clothes Donation) करता है उसको जीवन में कभी भी आर्थिक समस्याओं का सामना नही करना पढ़ता | वस्त्र दान करते समय ध्यान रहे की फटे पुराने वस्त्रों का दान नही करना चाहिए | जिस स्तर के कपड़े आप खुद पहनते हैं उसी स्तर के कपड़े दान करें। 
मान्यता है की जो व्यक्ति दान करता है उसे आनंद मिलता है साथ ही भगवान की कृपा उसके साथ रहती है | ध्यान रहे की दान उसी व्यक्ति को करें जो व्यक्ति दान की गयी वस्तु का उपयोग करे। 
समृद्ध भारतीय संस्कृति के सबसे विशिष्ट पहलुओं में से एक है “दान”, एक उदात्त कर्म जिसे प्राचीन काल से प्रत्येक धार्मिक एवं आध्यात्मिक भारतीय द्वारा अपनाया जाता रहा है। अलग-अलग समाराहों और अनुष्ठानों के अनुसार दान के विभिन्न प्रयोजन होते हैं।
दान के लिए भव्य आयोजन किया जाता है जिसमें परिजनों एवं अतिथियों के भोज के बाद दान संपन्न किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि धन के दान का फल एक ही जीवन भर मिलता है, जबकि स्वर्ण, भूमि और कन्या दान (हिन्दु पाणिग्रहण संस्कार का एक अनुष्ठान जिसमें पुत्री का दान किया जाता है) के फल सात जन्मों तक मिलते हैं।
यह पीला धातु शुद्ध और शुभ माना जाता है। स्वर्ण दान सर्वाधिक दानों में से एक कहा गया है।
हिन्दू धर्म के मंदिर हजारों सालों से हिन्दुओं की आस्था और संस्कृति के केन्द्र रहे हैं। हिन्दू समाज के लोग इन मंदिरों को पल्लवित और पुष्पित करने के लिए सोना, चांदी, जमीन और रुपयों का दान करते हैं।
अब बात करते है वर्तमान स्तिथियों की देश में मौजूद लाखों मंदिरों में अकूत धन सम्पदा मौजूद है, जिस पर इतिहास के हर कालखंड के शासकों की नजर रही है, आज भी इस पर सरकारों की नजर रहती है। इस देश पर होने वाले सभी आक्रमणों में आक्रांताओं ने मंदिरों को खूब लूटा है। मोहम्मद गजनवी द्वारा सोमनाथ के मंदिर की लूट, इतिहास में हुई कई लूटों में से एक है। अंग्रेजों ने भी भारत के मंदिरों के धन पर सरकार का नियंत्रण रखने के लिए कानून बनाए, ये कानून आज भी इस देश में थोड़े बहुत बदलाव के साथ मंदिरों पर थोपे गये हैं
ऐसा लगता है कि भारत में सेक्युलरिजम की परिभाषा सिर्फ हिंदुओं के लिए ही है। जिसे देखो सभी हिंदुओं पर ही सवाल उठा देते हैं। पिछले कुछ दिनों से ये सेक्युलर ब्रिगेड देश के मंदिरों के खज़ानों और सोने कर अपनी नजर गड़ाए हुए हैं। इसी कड़ी में फ़िल्मकर सुभाष घई ने बयान दिया है कि सभी मंदिरों को सरकार को फंड डोनेट नहीं करना चाहिए? सिर्फ सुभाष घई ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चौहाण ने तो मंदिरों के सोने पर लोन लेने की बात कह दी।

दरअसल, भारतीय मंदिरों में वर्षों से जमा धन और सोने पर हमेशा से हिंदू विरोधी लुटेरों की नजर रही है। मंदिरों के पास जमा सोना के बारे में सुभाष घई ने ट्वीट किया जो कुछ इस प्रकार से है –
‘क्‍या हमारे भगवान के मंदिरों के पास पहुंचने का यह सही समय नहीं है? बड़े गोल्‍ड रिजर्व वाले सभी संपन्न मंदिरों को अब सरकार से सामने सरेंडर करना चाहिए और 90% गोल्‍ड को लोगों की मदद के लिए डोनेट करना चाहिए। उन्‍हें यह सब सिर्फ भगवान के ही नाम पर लोगों से मिला है ना?’
हालांकि, बाद में जब लोगों ने खूब खरीखोटी सुनाई तो वे ट्वीट डिलीट कर भाग खड़े हुए। इससे पहले 13 मई को पृथ्वीराज चव्हाण ने एक ट्वीट कर सरकार से अपील की थी कि वो देश के सभी धार्मिक ट्रस्टों के पास पड़े सोने का तुरंत इस्तेमाल करें।

कांग्रेस और उसके इकोसिस्टम का पुराना सपना रहा है कि कैसे भी देश के मंदिरों में जमा सोने-चांदी को निकाला जाए। अभी कोरोना का बहाना लेकर तुरंत विवाद खड़ा किया जा रहा है लेकिन आश्चर्य की बात है कि किसी ने भी मस्जिद या चर्च से किसी भी प्रकार की मांग नहीं की है। मंदिरों का पुराना इतिहास रहा है कि चाहे कैसी भी विपत्ति आए, सबसे धनी मंदिर से लेकर सामान्य मंदिर तक दान में मिलने वाले धन सरकार को देते हैं। इस बार भी कोरोना के समय में कई भारतीय मंदिरों ने PMCARE में कई करोड़ धन जमा करा चुके हैं लेकिन किसी भी मस्जिद या चर्च से यह दान की खबर नहीं आई है। परंतु फिर सवाल मंदिरों से ही किया जा रहा है। अभी तक अगर आंकड़ों को देखे तो मंदिरों ने कोरोना आपदा में कुछ इस प्रकार से दान किया है. जिसमें राज्य सरकार और प्रधानमंत्री राहत कोष के खातों में पैसा भेजा गया है-
शिर्डी साई ट्रस्ट- 51 करोड़ रुपए

महावीर हनुमान मंदिर, पटना-16  करोड़ रुपए

माता विष्णो देवी श्राइनबोर्ड , जम्मू – 26 करोड़ रुपए

खाटूश्याम जी मंदिर, राजस्थान- 11 लाख

सालासर बालाजी धाम, राजस्थान- 11 लाख

जीणमाता मंदिर राजस्थान – 5 लाख
कांची मठ, तमिलनाडु- 10 लाख रुपए
यह सारा दान हिन्दुओ का है कोई भी मुस्लिम या अन्य समुदाय का व्यक्ति मंदिरों में दान नही करता और इस इच्छा से नही करता कि उसे वापस दिया जाए फिर भी इसे वापस भी किया जाए तो हिन्दुओ के अलावा इस पर किसी का भी नही होता जो हिन्दुओ को गाली देते है वो उसका भोग क्यों करेगे ,और यदि समूल भारत वासियों को इसका लाभ शर्तो के साथ ही दिया जाए 
पहला की हिंदुस्तान को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए 

दूसरा गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाए

और राजनीति में पचास प्रतिशत सन्यासियों की भागेदारी सुनिश्चित हो 
इन्ही शर्तो के साथ ही मंदिरों का सोना सभी के लिए हो वरना मंदिरों का सोना कोई खैरात नही जो सबमे बाँटा जाए। 

नितीश श्रीवास्तव
कायस्थ की कलम से
तो मित्रों ये थी हमारे हिंदू धर्म से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी, जिसे मैंने आपसे साझा की। ऐसे ही रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर निरंतर आते रहे और अपने दोस्तों ,परिवार वालों और सभी प्रियजनों तक भी ये महत्वपूर्ण जानकारी पहुचायें। धन्यवाद।
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