![]() |
Hindi Me Help Pao |
जिन हिन्दुओं को दलित का नाम देकर हिन्दुओं से तोडा जा रहा है आज उसकी सच्चाई जानिये कि वो कितने अभिन्न अंग है हिंदू धर्म के
आज के परिदृश्य को देखे तो हिन्दू समाज मे कई वर्षों से ज़हर घोला जा रहा है ताकि हिन्दुओ को तोड़ा जा सके क्यों की विदेशी आक्रांताओं को ये पता था कि संगठन में ही इनकी ताकत है कर्म के अनुसार सब का कार्य बटा हुआ है अगर हम इतिहास पे गौर करे तो भारत वर्ष में राज करने का ख्वाब विदेशी राजाओ ने देखा लेकिन उनका ख्वाब ख्वाब ही रह गया यहाँ तक कि मुगलो को भी यह राज करने में लगभग 700 साल लगे इसी तरह अंग्रेजो को भी यहां राज करने के लिए स्थापित होने में 200 साल लग गए इतना अंतराल लग गया लोगो मे ज़हर घोलने में । इस प्रक्रिया में पहले ज़हर घोला गया और फिर उन्हें जबरजस्ती मनवाया भी गया। यही क्रम चला तब जाकर वो हिन्दू वर्ण को बांटने में कामयाब हो सके जिसका असर आज भी दिखता है।
सिर्फ हिन्दुओ को गाली देने का ट्रेंड बन गया है, जानते कुछ नही लेकिन विरोध और सिर्फ विरोध ही करना है और आप जितने भी लोगो से पूछेंगे तो एक ही बात सामने आएगी हम पर जुल्म हुआ है। हम प्रताड़ित किये गए और हमे उपेक्षित किया गया ,वे ये जताने की कोशिश करते है कि हिन्दुओ ने ही हिंदुओ को उपेक्षित किया एक शब्द बहुत इस्तेमाल में आता है मनुस्मृति , लेकिन कोई नही जान पाया कि मनुस्मृति है क्या , लेकिन ये उनका दोष नही है जिसका उद्देश्य ही सिर्फ विरोध हो उसे समझाया नही जा सकता, दोस्तों इनमे ज़हर भरा जा चुका है लेकिन जो हिन्दू धर्म स्व नफरत करते है वो ये जान ले कि जिसे लोग उपेक्षित कहते है उनका सही मायने में हिन्दू रीति रिवाजों में क्या महत्व है हिन्दुओ ने अपने समाज के हर व्यक्ति को चाहे जिस वर्ण का हो। उसे एक महत्वपूर्ण स्थान दिया है।
हिन्दू समाज ने विवाह के समय समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े
दलित को जोड़ते हुये अनिवार्य किया कि –
देखिये किस तरह सबसे पहले दलित को जोडा गया …..
- दलित स्त्री द्वारा बनाये गये चुल्हे पर ही सभी शुभाशुभ कार्य होगें।
- धोबन के द्वारा दिये गये जल से ही कन्या सुहागन रहेगी इस तरह धोबी को जोड़ा।
- कुम्हार द्वारा दिये गये मिट्टी के कलश पर ही देवताओ के पूजन होगें यह कहते हुये कुम्हार को जोड़ा।
- मुसहर जाति जो वृक्ष के पत्तों से पत्तल/दोनिया बनाते है यह कहते हुये जोड़ा कि इन्हीं के बनाए गये पत्तल। दोनीयों से देवताओं का पूजन सम्पन्न होगे।
- कहार जो जल भरते थे यह कहते हुए जोड़ा कि इन्हीं के द्वारा दिये गये जल से देवताओं के पुजन होगें।
- बिश्वकर्मा जो लकड़ी के कार्य करते थे यह कहते हुये जोड़ा कि इनके द्वारा बनाये गये आसन/चौकी पर ही बैठकर वर-वधू देवताओं का पुजन करेंगे।
- फिर वह हिन्दु जो किन्हीं कारणों से मुसलमान बन गये थे उन्हें जोड़ते हुये कहा गया कि इनके द्वारा सिले हुये वस्त्रों (जामे-जोड़े) को ही पहनकर विवाह सम्पन्न होगें।
- फिर उस हिन्दु से मुस्लिम बनीं औरतों को यह कहते हुये जोड़ा गया कि इनके द्वारा पहनाई गयी चूडियां ही बधू को सौभाग्यवती बनायेगी।
- धारीकार जो डाल और मौरी को दुल्हे के सर पर रख कर द्वारचार कराया जाता है,को यह कहते हुये जोड़ा गया कि इनके द्वारा बनाये गये उपहारों के बिना देवताओं का आशीर्वाद नहीं मिल सकता।
- डोम जो गंदगी साफ और मैला ढोने का काम किया करते थे उन्हें यह कहकर जोड़ा गया कि मरणोंपरांत इनके द्वारा ही प्रथम मुखाग्नि दिया जायेगा।
- इस तरह समाज के सभी वर्ग जब आते थे तो घर कि महिलायें मंगल गीत का गायन करते हुये उनका स्वागत करती है।
और पुरस्कार सहित दक्षिणा देकर बिदा करती थी।
हिन्दू समाज का दोष कहाँ है? हाँ हिन्दू समाज का दोष है कि इन्होंने अपने ऊपर लगाये गये निराधार आरोपों का कभी खंडन नहीं किया, जो हिन्दुओ क्रम नियम बनाने वाले ब्राह्मणों के अपमान का कारण बन गया। इस तरह जब समाज के हर वर्ग की उपस्थिति हो जाने के बाद –
ब्राह्मण नाई से पुछता था कि क्या सभी वर्गो कि उपस्थिति हो गयी है?
नाई के हाँ कहने के बाद ही ब्राह्मण मंगल-पाठ प्रारम्भ किया करते हैं।
हिन्दू समाज द्वारा जोड़ने कि इस क्रिया को छोड़वाया, विदेशी मूल के लोगो ने अपभ्रंश किया।
देश में फैले हुये समाज विरोधी संस्थाओं और हिन्दू विरोधी ताकतों का विरोध करना होगा जो अपनी अज्ञानता को छिपाने के लिये वेद और हिन्दू समाज कि निन्दा करतेे हुये पूर्ण भौतिकता का आनन्द ले रहे हैं। हिन्दुओ का विरोध करते करते अपनी सीमाएं तक लांघ जाते है एक योजना बद्ध तरीके से हिन्दू समाज का दोहन किया जा रहा है सोचने की बात यह है कि हिन्दू समाज मे इस प्रकार का हर जाति और बिरादरी के महत्व के बाद भी ये जहर कहाँ से भरा गया कुछ तो शायद राजनैतिक फायदे के लिए और कुछ द्वेष भावना से। मैं ये नही कहता कि किसी धर्म मे बुरे लोग नही होते या सभी अच्छे ही होते है लेकिन कुछ थोड़े बहुत लोगो के व्यवहार से क्या हम अपने धर्म को गाली दे सकते है । एक ही परिवार में जब हम कभी कभी अपने को उपेक्षित समझने लगते है तो क्या परिवार को छोड़ देते है अगर नही तो हिन्दू समाज के लिए इतनी ईर्ष्या क्यों ? जिसने भारत को सोने की चिड़िया बनाया आज उसी भारत में उसके सोने की जगह पर अवैद्य कब्ज़ा आखिर क्यों ? आज हिंदू समाज को संगठित होकर यदि अपने अस्तित्व को जिन्दा रखना है तो अपने धर्म को जिन्दा रखना होगा।
नितीश श्रीवास्तव
कायस्थ की कलम से
तो मित्रों ये थी हमारे हिंदू धर्म से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी, जिसे मैंने आपसे साझा की। ऐसे ही रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर निरंतर आते रहे और अपने दोस्तों ,परिवार वालों और सभी प्रियजनों तक भी ये महत्वपूर्ण जानकारी पहुचायें। धन्यवाद।
यदि आप कोई सुझाव या किसी भी प्रकार की कोई जानकारी देना चाहते है तो आप हमें मेल (contact@hindimehelppao.com) कर सकते है या Whats-app (+919151529999) भी कर सकते हैं|