5000 साल पहले क्षत्रियों और ब्राह्मणों ने हमारा बहुत शोषण किया ब्राह्मणों ने हमें पढ़ने से रोका क्षत्रियों ने बल पूर्वक बंधुआ मजदूर बनाया।
लेकिन
यह बात बताने वाले महान इतिहासकार यह नहीं बताते कि 500 साल पहले मुगलों ने हमारे साथ क्या किया 100 साल पहले अंग्रेजो ने हमारे साथ क्या किया। हमारे देश में शिक्षा नहीं थी लेकिन 1897 में शिवकर बापूजी तलपडे ने हवाई जहाज बनाकर उड़ाया था मुंबई में जिसको देखने के लिए उस टाइम के हाई कोर्ट के जज महा गोविंद रानाडे और मुंबई के एक राजा महाराज गायकवाड के साथ-साथ हजारों लोग मौजूद थे जहाज देखने के लिए उसके बाद एक डेली ब्रदर नाम की इंग्लैंड की कंपनी ने शिवकर बापूजी तलपडे के साथ समझौता किया और बाद में बापू जी की मृत्यु हो गई यह मृत्यु भी एक षड्यंत्र थी उनकी हत्या कर दी गई और फिर बाद में 1903 में राइट बंधु ने जहाज बनाया। ये बताकर अंग्रेजों ने मौका भुना लिया और पूरे विश्व में यह झूंठ आग की तरह फैला दिया। यह भी एक सोचने की बात है कि आज से युगों पहले रामायण में एक विमान की बात की थी गोस्वामी तुलसीदास जी ने वाल्मीकि जी ने और उस विमान की बात करी थी जिसमें लंका से भगवान राम 14 वर्ष वनवास काटने के बाद प्रमुख सैनिकों और अपने दल के साथ सीता माता और लक्ष्मण जी को साथ लेकर अयोध्या आए थे और उस विमान का नाम था पुष्पक विमान इस बात का जिक्र भी विमान संहिता में मिलता है।दोस्तों लेकिन दुख की बात यह है कि आज अगर पढ़ी-लिखी समाज के सामने हम इन बातों की अगर जिक्र भी करते हैं तुम पढ़े लिखो को यह एक माइथोलॉजी लगता है लेकिन दोस्तों आपको जानना चाहिए और गर्व होना चाहिए कि हमारे देश में कुछ ऐसे महापुरुष हुए जिन्होंने विमान ही नहीं वर्णन कई चीजों का आविष्कार किया लेकिन आज उनका जिक्र भी कहीं नहीं किया जाता है आज हमने ठाना है कि उन्हीं महापुरुषों की चर्चा हम आपसे करेंगे आप भी जानिए और दूसरों के भी बताइए कि हमारे ऋषि महर्षि और महापुरुष यूं ही नहीं थे कुछ तो बात थी उनमें।
आप लोगों को बताते चलें कि आज से हजारों साल पहले की एक किताब है महर्षि भारद्वाज की विमान शास्त्र जिसमें 500 जहाज 500 प्रकार से बनाने की विधि है उसी को पढ़कर शिवकर बापूजी तलपडे ने जहाज बनाई थी, लेकिन यह तथाकथित नास्तिक लंपट ईसाइयों के दलाल जो है जिन्होंने ये भ्रान्ति फैलाई की राइट बधु ने जहाज को बनाया। ये नालायक और बुध्धिहीन है तो हम सबके ही बीच से लेकिन हमें बताते हैं कि भारत में तो कोई शिक्षा ही नहीं था कोई रोजगार नहीं था, सब निठल्ले थे, दोस्तों भारत यूँ ही नहीं
अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन 14 दिसंबर 1799 को जब सर्दी और बुखार से जूझ रहे थे और उनके पास बुखार की दवा नहीं थी उस टाइम भारत में प्लास्टिक सर्जरी होती थी और अंग्रेज प्लास्टिक सर्जरी सीख रहे थे हमारे गुरुकुल में अब कुछ वामपंथी लंपट बोलेंगे यह सरासर झूठ है। क्योंकि इनको तो भारत का मस्तक नीचा हो उसी में यह खुश होते हैं उसी में यह अपना बड़प्पन समझते हैं किंतु हम आपको बता दें भारत की भूमि ऐसे महान लोगों से कभी खाली नहीं हुई जिनकी वजह से हमारे भारत देश का नाम समय-समय पर दुनिया के पटल पर गुंजायमान रहा है।
चिकित्सा के क्षेत्र में सर्वप्रथम डॉक्टर कहें या फादर ऑफ सर्जरी: महर्षि सुश्रुत
ऑस्ट्रेलियन कॉलेज ऑफ सर्जन मेलबर्न में ऋषि सुश्रुत की प्रतिमा “फादर ऑफ सर्जरी” टाइटल के साथ स्थापित है। जो शल्यचिकित्सक विज्ञान यानी सर्जरी के जनक व दुनिया के पहले शल्यचिकित्सक (सर्जन) माने जाते हैं। वे शल्यकर्म या आपरेशन में दक्ष थे। महर्षि सुश्रुत द्वारा लिखी गई ‘सुश्रुतसंहिता’ ग्रंथ में शल्य चिकित्सा के बारे में कई अहम ज्ञान विस्तार से बताया है। इनमें सुई, चाकू व चिमटे जैसे तकरीबन 125 से भी ज्यादा शल्यचिकित्सा में जरूरी औजारों के नाम और 300 तरह की शल्यक्रियाओं व उसके पहले की जाने वाली तैयारियों, जैसे उपकरण उबालना आदि के बारे में पूरी जानकारी बताई गई है।
जबकि आधुनिक विज्ञान ने शल्य क्रिया की खोज तकरीबन चार सदी पहले ही की है। माना जाता है कि महर्षि सुश्रुत मोतियाबिंद पथरी हड्डी टूटना जैसे पीड़ाओं के उपचार के लिए शल्यकर्म यानी आपरेशन करने में माहिर थे। यही नहीं वे त्वचा बदलने की शल्यचिकित्सा भी करते थे। जो महर्षि इन सभी कार्यों में कुशल थे उनकी गौरव गाथा से हम अछूते क्यों हैं यह सोचने का विषय है हां अब बात करते हैं गुरु भास्कराचार्य जी की–
महर्षि भास्कराचार्य
दोस्तों यह तो सभी को बतलाया गया कि गुरुत्वाकर्षण का खोज न्यूटन ने किया है वह कैसे एक पेड़ के नीचे वो बैठे थे और उनके ऊपर एक सेब उसी पेड़ से टूट कर गिरा बस उन्होंने वहीं से गुरुत्वाकर्षण का खोज कर दिया किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्यजी ने उजागर किया। भास्कराचार्यजी ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है कि ‘पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है। इस वजह से आसमानी पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है’।
आचार्य कणाद
कणाद परमाणु की अवधारणा के जनक माने जाते हैं। आधुनिक दौर में अणु विज्ञानी जॉन डाल्टन के भी हजारों साल पहले महर्षि कणाद ने यह रहस्य उजागर किया कि द्रव्य के परमाणु होते हैं। उनके अनासक्त जीवन के बारे में यह रोचक मान्यता भी है कि किसी काम से बाहर जाते तो घर लौटते वक्त रास्तों में पड़ी चीजों या अन्न के कणों को बटोरकर अपना जीवनयापन करते थे। इसीलिए उनका नाम कणाद भी प्रसिद्ध हुआ।
गर्गमुनि नक्षत्र ज्ञाता
गर्ग मुनि नक्षत्रों के खोजकर्ता माने जाते हैं। यानी सितारों की दुनिया के जानकार। ये गर्गमुनि ही थे, जिन्होंने श्रीकृष्ण एवं अर्जुन के बारे में नक्षत्र विज्ञान के आधार पर जो कुछ भी बताया, वह पूरी तरह सही साबित हुआ। कौरव-पांडवों के बीच महाभारत युद्ध विनाशक रहा। इसके पीछे वजह यह थी कि युद्ध के पहले पक्ष में तिथि क्षय होने के तेरहवें दिन अमावस थी। इसके दूसरे पक्ष में भी तिथि क्षय थी। पूर्णिमा चौदहवें दिन आ गई और उसी दिन चंद्रग्रहण था। तिथि-नक्षत्रों की यही स्थिति व नतीजे गर्ग मुनिजी ने पहले बता दिए थे।
आचार्य चरक जिन्हें आयुर्वेद का भगवान माना जाता है
‘चरकसंहिता’ जैसा महत्वपूर्ण आयुर्वेद ग्रंथ रचने वाले आचार्य चरक आयुर्वेद विशेषज्ञ व ‘त्वचा चिकित्सक’ भी बताए गए हैं। आचार्य चरक ने शरीरविज्ञान, गर्भविज्ञान, औषधि विज्ञान के बारे में गहन खोज की। आज के दौर में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारियों जैसे डायबिटीज, हृदय रोग व क्षय रोग के निदान व उपचार की जानकारी बरसों पहले ही उजागर कर दी।
महर्षि पतंजलि
आज के आधुनिक दौर में जानलेवा बीमारियों में एक कैंसर या कर्करोग का आज उपचार संभव है। किंतु कई सदियों पहले ही ऋषि पतंजलि ने कैंसर को भी रोकने वाला योगशास्त्र रचकर बताया कि योग से कैंसर का भी उपचार संभव है।
बौद्धयन त्रिकोणमिति के ज्ञाता
भारतीय त्रिकोणमितिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। कई सदियों पहले ही तरह-तरह के आकार-प्रकार की यज्ञवेदियां बनाने की त्रिकोणमितिय रचना-पद्धति बौद्धयन ने खोजी। दो समकोण समभुज चौकोन के क्षेत्रफलों का योग करने पर जो संख्या आएगी, उतने क्षेत्रफल का ‘समकोण’ समभुज चौकोन बनाना और उस आकृति का उसके क्षेत्रफल के समान के वृत्त में बदलना, इस तरह के कई मुश्किल सवालों का जवाब बौद्धयन ने आसान बनाया।
15 साल साल पहले का 2000 साल पहले का मंदिर मिलते हैं जिसको आज के वैज्ञानिक और इंजीनियर देखकर हैरान हो जाते हैं कि मंदिर बना कैसे होगा अब हमें इन वामपंथी लंपट लोगो से हमें पूछना चाहिए कि मंदिर बनाया किसने।
ब्राह्मणों ने हमें पढ़ने नहीं दिया यह बात बताने वाले महान इतिहासकार हमें यह नहीं बताते कि सन 1835 तक भारत में 700000 गुरुकुल थे इसका पूरा डॉक्यूमेंट Indian house में जब चाहे देख सकते हैं।
भारत गरीब देश था चाहे है तो फिर दुनिया के तमाम आक्रमणकारी भारत ही क्यों आए हमें अमीर बनाने के लिए
भारत में कोई रोजगार नहीं था भारत में पिछड़े दलितों को गुलाम बनाकर रखा जाता था लेकिन वामपंथी लंपट आपसे यह नहीं बताएंगे कि हम 1750 में पूरे दुनिया के व्यापार में भारत का हिस्सा 24 परसेंट था और सन 1900 में एक परसेंट पर आ गया आखिर कारण क्या था।
अगर हमारे देश में उतना ही छुआछूत थे हमारे देश में रोजगार नहीं था तो फिर पूरे दुनिया के व्यापार में हमारा 24 परसेंट का व्यापार कैसे था? यह वामपंथी लंपट यह नहीं बताएंगे कि कैसे अंग्रेजों के नीतियों के कारण भारत में लोग एक ही साथ 3000000 लोग भूख से मर गए कुछ दिन के अंतराल में एक बेहद खास बात वामपंथी लंपट या अंग्रेज दलाल कहते हैं इतना ही भारत समप्रीत था इतना ही सनातन संस्कृति समृद्ध थी तो सभी अविष्कार अंग्रेजों ने ही क्यों किए हैं भारत के लोगों ने कोई भी अविष्कार क्यों नहीं किया।
उन वामपंथी लंपट लोगों को बताते चलें कि हुआ तो सब आविष्कार भारत में ही लेकिन उन लोगों ने चुरा करके अपने नाम से पेटेंट कराया नहीं तो एक बात बताओ भारत आने से पहले अंग्रेजों ने कोई एक अविष्कार किया हो तो उसका नाम बताओ इस पर थोड़ा अपना दिमाग लगाओ कि भारत आने के बाद ही यह लोग आविष्कार कैसे करने लगे उससे पहले क्यों नहीं करते थे। क्योंकि इन्होंने हमारे धर्म स्थलों को तोड़ा उनमें लूटपाट की उन ग्रंथों पर अपना कब्जा जमाया उन किताबों को यहां से ले गए जिन पर भांति भांति की जानकारी थी। और फिर पीटने लगे अपने नाम का डंका पूरे विश्व मे। तो दोस्तों जानिए अपने पूर्वजों के बारे में और हर किसी को इसके बारे में बताइए और गर्व कीजिए कि हमारे देश में ऐसे ऐसे महर्षि और महापुरुष हुए।
तो मित्रों ये थी हमारे महाऋषियों से सम्बंधित एक विशेष जानकारी, जिसे मैंने आपसे साझा की। येसे ही रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर निरंतर आते रहे और अपने दोस्तों ,परिवार वालों और सभी प्रियजनों तक भी ये महत्वपूर्ण जानकारी पहुचायें। धन्यवाद।
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